जिंदगी भर
जिंदगी भर कभी किसी का साथ किसको मिला है.
फिर क्यों इस बात पर जिंदगी भर का गिला है.
आओ चल पड़ते हैं जिंदगी की डगर पर ऐसे;
कि जैसे अपना साया ही अपने साथ चला है.(वीणा)
फिर क्यों इस बात पर जिंदगी भर का गिला है.
आओ चल पड़ते हैं जिंदगी की डगर पर ऐसे;
कि जैसे अपना साया ही अपने साथ चला है.(वीणा)
Beautifully expressed..ultimately one has to walk the path of life alone..:)
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