सोमवार, 5 नवंबर 2012

कुछ अनकहा सा ...



जागते रहो ...!!लेकिन  कब ...???



रात का डेढ़ बजा है और नींद आँखों से निकलकर सैर करने चली गई थी, तभी सोचा कि चलो उसके इंतजार में ही समय बिताया जाये,और जब तलक वह लौट के न आये कुछ पढ़ ही लिया जाये। यही सोचकर एक पत्रिका`के पन्ने पलटना आरंभ किया ही था कि रात की ख़ामोशी को तोड़ती हुई सड़क पर गूंजती हुई आवाज हुई ठक -ठक की आवाज से मेरे पन्ने पलटते हाथ रुक गए और कान पूरी तरह से आवाज का पीछा करने लगे।आवाज चिरपरिचित लगी।ये आवाज प्रायः रात के सन्नाटे को चीरती हुई कानों को सुनाई पड़  जाया करती है।

ये ठक-ठक की आवाज उस लाठी की थी जिसे रात में गश्त लगाने वाले चौकीदार प्रायः करते हैं। साथ ही सीटी की आवाज भी निकलते हैं। कुछ चौकीदार तो रात में "जागते रहो" की अलख भी लगाये रखते हैं। रात की ये ध्वनियाँ चोरों से सावधान रहने की कवायद है और  को सावधान रहने के अपने काम को बखूबी अंजाम भी देते हैं। इतने पर भी लोग घरों में गहरी नींद में गाफिल रहते हैं और चोर अपना काम करके चलते बनते हैं।इन बातों में एक अजीब सा तालमेल है। रात का चौकीदार ( night watchman ) अपनी रोज-रोटी की विवशता में अपनी नींद को तिलांजलि देकर लोगों से जागते रहने की गुहार लगाता रहता है, और सोने वाले सोने से पीछे नहीं रह्ते याने वही बात हुई मुद्दई चुस्त गवाह सुस्त।  

चौकीदार,चोर और सोने  के बीच बना यह त्रिकोण  बिलकुल हमारे देश के आज के हालात का हाल बयां करता है। क्या आपको नहीं लगता आज हमारी सरकार परदे के सामने चौकीदार की भूमिका को मुस्तैदी से निभा रही है और साथ परदे के पीछे चोर की भूमिका को बखूबी  अंजाम दे रही है। जनता सरकार के  भरोसे गहरी नींद  सो रही है। चौकीदार रूपी सरकार को मालूम है कि जनता का सोये रहना ही अच्छा है अगर वह जाग गई तो उसके चौकीदार की भूमिका के कोई मायने नहीं रहेंगे। अतः वह  हमेशा नई कल्याण योजनाओं और राहत की घोषणाओं की अफीम की गोली का ready stock हमेशा  रखती है और जब भी जनता कुछ कहने के लिए अपना वह मुँह खोलती है वह उसकी जीभ पर खट से यह गोली रख देती है और जनता इसे चूसते-चूसते धीरे- धीरे  नींद में गाफिल हो जाती है। अब रात के अँधेरे में क्या दिन के उजाले में भी चोरों की तरह घोटालों की पोटली अपने कंधे पर रखकर गायब हो जाती है जैसे गधे के सिर से सींग, साथ में "जागते रहो" की  लगाना नहीं भूलती।

अब इससे अधिक कहने की लिए कुछ रह गया है  नहीं लगता। क्या आपको नहीं लगता आज देश में यही सब कुछ हो रहा है ...???
                
                                                                                                     वीणा सेठी  












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