रविवार, 13 दिसंबर 2015

The# madeofgreat Zonal War-कुछ तो है ख़ास...!



कुछ तो है ख़ास...!

एक शहर है....!! भारत में किसी जगह पर...? अब आप ये सोचने बैठ गए होंगे कि इतना सस्पेंस किस लिए...? चलिए बता देते हैं. ये शहर  है भारत के ह्रदय स्थल में. समझ गए हैं शायद आप ...! बिल्कुल  ठीक पहचाना- इस पहेली का जवाब है “भोपाल”. भारत के अमूमन बड़े शहरों का जैसा चेहरा है वैसा ही भोपाल का भी है, यहाँ तक तो बात ठीक है पर... कुछ खास है जो इसे और शहरों से अलग करता है या मै ये कहूँ कि ये कुछ मायनों में बेहद खास है.


एक बात जो मैंने भोपाल शहर  के बारे में सुनी है- उसकी बानगी कुछ इस तरह से है:-

“तालों में भोपाल ताल बाकि सब तलैया “.

ये सच है कि भोपाल तालों का शहर है. भोपाल शहर को नवाबों का शहर भी कहते हैं. इतना तो आप जान ही लें कि ये शहर नए और पुराने का एक सुंदर संगम है. परम्परा और आधुनिकता की गंगा-जमुनी जोड़ी एक साथ देखी  जा सकती है. एक शहर को जो जीवंत बना दे वो सारी बातें इस शहर की सांसों में बसी है.
 
बड़ा तालाब भोपाल


खुली चौडी सड़कें और उनके दोनों ओर हरे-भरे पेड़ आपको drive करते हैं और आप उसके सम्मोहन में खोये आगे बढ़ते कहाँ से कहाँ निकल जाते हैं आप को स्वयं ही पता नहीं चलता. अगर विश्वास न हो तो लिंक रोड पर निकल के मेरी बात का एक test drive ही कर लें. एक drive आप चाहें तो “national park” तक भी कर सकते हैं. बड़े तालाब के किनारे-किनारे जाने वाले इस drive पर आप एक बार गए तो फिर आप इस राह के हमसफ़र बन के ही रहेंगे. अगर सच जानना है तो किसी भी भोपाली से पूछ सकते हैं. बेशक इस बात के लिए वो बुरा जरुर मान सकता है. 



 
लिंक रोड

मध्य प्रदेश एक tribal याने आदिवासी बहुल इलाका है और इसकी एक झलक श्यामला हिल्स पर स्थित” मानव संग्रहालय” में देखने को मिल सकती है . पूरे भारत की आदिवासी  जीवनशैली की एक झलक एक ही छत के नीचे देखी जा सकती है.

 
भारत भवन


भोपाल में कला के लिए भी एक खास जगह महफूज है और वो है “भारत भवन”. अगर ये कहा जाये ललित कला की सब विधाओं की यहाँ त्रिवणी बहती है तो अतिश्योक्ति नहीं होगी. मै अपने शहर के इतिहास के विषय में कुछ भी नहीं कहना चाहती, वो तो जब आप घूमने निकलेंगे तो स्वयं ही जानना चाहेंगे. अब कुछ बातें बड़े तालाब  और छोटे तालाब  की भी हो जाएँ. दोनों ही बोटिंग के लिए बेहद शानदार स्थल हैं. बड़े तालाब में water sport के tournment भी आयोजित किये जाने लगे हैं और उनकी ट्रेनिंग भी दी जाती है. इस शहर की संरचना कुछ ऐसी है कि आप जीवन की हर शैली का आनंद ले सकते हैं.


अब बात कुछ ऐतिहासिक इमारतों की भी होनी चाहिए. “भोपाल” शहर वास्तव में राजा “भोजपाल “ के नाम पर रखा गया है. परमार वंशीय राजा भोजपाल ने ही बड़े तालाब और छोटे तालाब का निर्माण करवाया था. शताब्दियों पुरानी ये संरचनाएं वास्तव में पानी के संग्रहण की अद्भुत इंजीनियरिंग का कमाल है और राजा भोज की दूरदर्शीत़ा और सूझबूझ की झलक मिलती है. 




ताजुल मस्जिद



नवाबों की इस नगरी की झलक एशिया की सबसे बड़ी मस्जिद “ताजुल मस्जिद” के रूप में मिलती है. बेहद भव्य और दर्शनीय इमारत है.  भोपाल में आधुनिक जीवन शैली की एक बानगी अगर देखनी है तो न्यू मार्किट जाने पर ही आपकी हसरत पूरी हो सकती है. यहाँ शौपिंग मोल की कोई कमी नहीं पर...डी .बी.मोल एक बार अवश्य जाएँ. दुनिया की ब्रांडेड कम्पनियों के माल की भोपाल में बहार छाई है; बस आपके आने भर की देर है. 

भीम बैठका

चलिए एक बार हम और आप खुद को भोपाल से कनेक्ट करते हैं और एक drive prehistoric age से लेकर आज के भोपाल की लेते हैं. भोपाल से 20-25 Km दूर prehistoric caves “भीमबैटका” हैं- देखिये...! पहुँच गए न आप आदिम मानव के समय के भोपाल में. अब थोडा भोपाल के नजदीक इसी रूट पर राजा भोज के द्वारा स्थापित भगवन शिव का मंदिर “भोज मंदिर” परमार काल की वास्तुकला का अविश्वसनीय और अद्भुद प्रमाण है. लीजिये आप भोपाल के इतिहास के उस दौर में भी घूम लिए. हाँ भोपाल से 60 Km दूर साँची को आप कभी भी छोड़ना नहीं चाहेंगे. 
भोज मंदिर


भोपाल एक well planned city है. हरीतिमा की चादर ओढ़े ये शहर पूरे साल सबकी आँखों को सुकून देता है. इसकी खुली और चौड़ी सड़कें आपको इसके साथ-साथ चलने के लिए drive करती हैं. topograpy के बिंदु से विचार करेंगे तो आपको ये शहर बेहद शानदार लगेगा. ये शहर आपके लिए कभी भी अजनबी नहीं हो सकता और न ही होगा, इस शहर की यही खासियत इसे बेहद खासमखास बनती है. अगर मुझ पर भरोसा नहीं तो एक बार आकर तो देखें मेरे शहर में-यहीं के होकर न रह जायेंगे तो कहना. बस इतना ही कहना था मुझे.







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