जश्न-ऐ-आजादी में
शिरकत करेंगे हम,
हौंसलों के परों से
नयी उड़ान भरेंगे हम.
राह में आये चाहे
कोई भी तूफान;
उसे राह से हटा के
दम लेंगे हम.
जिस राह से गुजर के
गए शहीद;
उस राह के राहबर
बनेंगे हम.
तरक्की की राह जहाँ
से भी खुले;
उन राहों पर बढ़ चलेंगे
हम.
दंगा-फसाद जो फैलाते
हैं;
उन्हें अमन का
सन्देश देंगे हम.
मजहब से देश को जो
बाँट रहे;
उन्हें निकाल बाहर
करेंगे हम.
आजादी की इस सुंदर
भोर में;
आओ प्यारा तरंगा
फहराएँ हम.
वीणा सेठी.
आमीन ... तिरंगे की शान बरकरार रखनी है ... बहुत सुन्दर गीत जश्ने आजादी का ...
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