दिल ढूंढता है ख़ुशी
के पल...
इन्सान का वजूद इस
धरती पर और जीवित प्राणियों से कई मायनों में फर्क है और एक बात और भी है जो उसे
दूसरों से अलग करती है और ये हम सब जानते हैं. इंसानी दिमाग का कोई मुकाबला हो ही
नहीं सकता. इसी दिमाग के बल पर वह दुनिया पर राज कर रहा है, ये दिमाग भी इंसानी शरीर
के एक भाग के आगे बेबस हो जाता है. ये “इंसानी दिल “ है जो दिमाग को हरा देता है.
इन्सान के अन्दर
उठने वाले अलग-अलग भावनाएँ इसी दिल में पैदा होती हैं, हिलोर लेती हैं और यहीं
ख़त्म भी हो जाती हैं. अब इस दिल में अगर ख़ुशी जागती है तो गम भी यहीं पनाह लेता
है. इसी तरह के आवेगों और संवगों को दिल सम्हाले रखता है.
ये सच है कि इन्सान
जिंदगी भर ख़ुशी और गम के पलों में ही जिंदगी की सांसों का हिसाब खोजता रहता है. ख़ुशी के पल में वो हँसता और मुस्कराता
है और दुख के पलों में उसे जीवन बोझिल लगने लगता है और ऐसा लगता है मानो वक्त थम
सा गया है और शायद यही ठहरा रहेगा. ख़ुशी के पल तो मानों पंख लगा कर उड़ जाते हैं.
बिल्कुल चार दिन की चांदनी की तरह. अब जिंदगी के इस गणित में, वैसे देखा जाये तो
शायद ... ख़ुशी का पलड़ा हल्का ही लगेगा. पर ... ये सब दिल से महसूस करने की बात है.
पर... ये दिल है कि मानता नहीं. और चल पड़ता है ख़ुशी के पलों की तलाश में. अब जब Coca-Cola International Day of Happiness ने ख़ुशी के
पलों की तलाश का तरीका पूछा है तो ... बताना तो पड़ेगा ही!
पलों की तलाश का तरीका पूछा है तो ... बताना तो पड़ेगा ही!
Happniess-Image from google.com |
अगर जिंदगी को सहजता
और सरलता से जीना है तो खुशियों के लिए कहीं जाना नहीं पड़ेगा और खुशियाँ ढूंढने
कहीं जाना भी नहीं पड़ेगा.
मेरा ख़ुशी ढूंढने का
तरीका बेहद आसान है, शायद आपको भी भा जाये. खुशियाँ छोटी-छोटी बातों में खोजना बेहद
सरल है. और इसमें कोई जोखिम नहीं और कोई खर्चा नहीं होता, ये फ्री में मिल जाती है
बस थोड़ा सोचना पड़ता है. मै जब भी उदास होती हूँ या कुछ अन्यमनस्क सी होती हूँ तो
कुछ देर के लिए... कुछ पल के लिए उस वातावरण में रहती हूँ पर जैसे ही ख़ुशी के
सानिध्य में जाती हूँ तो उदासी पल भर में ही काफूर हो जाती है. अगर आपको भरोसा
नहीं तो ... आजमा लें. इस नुस्खे के कोई पैसे नहीं लगते.
प्रकृति बिल्कुल माँ
की तरह है तभी तो उसे मदर नेचर कहते हैं. उसके आँचल की छाँव में बैठ जाएँ और एक मौन
वार्तालाप करें तो धीरे धीरे... आप पर से उदासी के बादल के छंटने लगेंगे. और आप
अनायास ही गुनगुना उठेंगे. प्रकृति के मौन संगीत की ताल से आप भी सहजता से ताल
मिलाने लग जायेंगे.
छोटी-छोटी खुशियों
को आप अपने आसपास ही तलाश सकते हैं, आप चाहें तो किसी रोते हुए बच्चे की आँखों में
ख़ुशी की चमक ला सकते हैं. किसी जरूरतमंद की सहायता कर उसकी जरुरत को पूरा कर सकते
हैं. निस्वार्थ भाव से किया गया कोई भी काम हमारी जिंदगी में खुशियों को दोबाला कर
देता है...बस करने की इच्छा का होना जरुरी है.
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सेठी ---------------
अच्छा लेख.............
जवाब देंहटाएंhttp://savanxxx.blogspot.in
भावपूर्ण
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