रविवार, 1 फ़रवरी 2015

USE YOUR & (AND) by Gillette Venus- Woman as an individual

नारी एक -रूप अनेक

एक बात औरत के लिए हमेशा से मानी गई है और वो ये है कि वो इंसान की शक्ल में तो है पर उसे इंसानी शख्सियत माना जाये ऐसा कोई सोच सकता है , कोई उदहारण आज तक नजर नहीं आया. जो मानते भी हैं वो उसको पब्लिकली स्वीकारते नही. नारी एक माँ, बेटी,पत्नी  बहू-भाभी कुछ भी हो सकती है. पर... एक इन्सान हो सकती है या मानी जा सकती है.…? इसमें शक है और रहेगा, क्योंकि ये एक इंसान के सोचने पर नहीं हो सकता पर दुनिया की दूसरी आधी आबादी की इस बात को समझना पड़ेगा और मानना पड़ेगा ता तो दो इंसानो के बीच का फैसला ख़त्म हो पायेगा. पर ... कुछ नारी चहरे अपने बूते पर ही इस सोच को बदल डालने की क़ूवत रखते हैं और उन्ही चेहरों में आज मै एक चेहरा और शामिल करना चाहती हूँ. और वो चेहरा मेरी नौकरानी "मालती" का है.

"मालती एक नारी चेहरा", आज भी जब मै अतीत  की गलियों में निकल पड़ती हूँ तो सालों से अतीत के हाशिये पर ठहरा एक चेहरा रह-रह कर मेरी आँखों में कौंध जाता है और उस धुंधलके को चीर कर मालती पूरी की पूरी मेरे सामने आकरखड़ी  हो जाती है. मालती तब १६-१७ बरस की थी जब वो ब्यहाकर आई थी और उसकी सास जिसे हम अम्मा कहते थे, हमारे घर सफाई और बर्तन साफ़ करने का काम करती थी. बीतते न बीतते वो भी अम्मा के साथ हमारे घर काम पर आने लगी. मालती तेज  तर्रार स्वाभाव की अँगूठा छाप औरत थी पर उसका दिल शीशे की तरह साफ़ था.

वक्त बीतते देर नहीं लगती और देखते ही देखते वो ४ बच्चों की माँ भी बन गई और अब वो २५ साल की भरे शरीर वाली औरत बन चुकी थी. दुनिया के तौर-तरीकों ने उसकी बातों में नफासत ला दी थी, इसके साथ ही उसमें दुनिया की चल-ढाल को समझने का शऊर भी आ गया था. अपनी जिंदगी से वो खुश थी. उसका पति रिक्शा चलाता था पर उसमें एक खराबी थी वो पक्का शराबी था. कुछ साल तो उसने घर खर्चे में मालती का हाथ बताया पर धीरे-धीरे वो उससे भी हाथ खींचने लगा. अम्मा अब बीमार रहने लगी थी और प्रायः घर पर ही रहती थी. वो अपने बेटे की हरकतों से दुखी थी. दिन जैसे गुजरते गए लच्छू मालती का पति घर आने से भी कन्नी काटने लगा. उसके घर पर न आने की वज़ह उसका एक दूसरी औरत के साथ रहना था. अब तो मालती को लगने  लगा कि लच्छू कभी नहीं लौटेगा, वह इस बात को भी पी गई.बात यही तक रहती तो ठीक था; एक दिन वो नशे में धुत घर में घुस आया और मालती से पैसों की मांग करने लगा, जब उसने विरोध किया तो  उसने उसने चूल्हे में से जलती लकड़ी निकालकर मालती की पिटाई लगाना शुरू कर दिया. अम्मा ने बचाने की कोशिश की तो उसने उस पर भी हाथ उठा दिया. बात यही पर ख़त्म नहीं हुई उसने मालती के गले से मंगलसूत्र खींच लिया ये कहकर कि ये उसकी प्रेमिका के गले में डालकर उसे अपनी पत्नी बनाएगा। अपने पति की इस हरकत पर मालती ने चंडी का  धर लिया और अपने उसे खदेड़कर  दिया, उसके बच्चों ने उसका पूरा साथ दिया.

दूसरे दिन जब मालती  आई तो उसके गले  न तो मंगलसूत्र था और माँग   में सिन्दूर और पैरों से बिछिया भी गायब थीं. उसके  इस हुलिये को देखकर जब मैंने उससे सवाल किया तो उसने सब बात बताई, पर मैंने उससे जब पूछा की ये सब करने की क्या जरूरत थी... ? तो उसने कहा, "मैंने सौतन भी सह ली पर कल उसने जब मुझ पर हाथ उठाया  और मेरा मंगल सूत्र गले से निकाल दिया तो ये उसने मेरे स्वाभिमान और मेरे इन्सान होने  को नकार दिया।" मालती की आँखों में आंसू थे, वो कहने लगी" बीबीजी ! उसने मेरी आत्मा को रौंद डाला, इतने सालों से एक मर्द की तरह मैं घर चला रही हूँ और ये सोचकर चुप रहती थी की चलो दूर ही सही पर मेंरे बच्चों का बाप है पर अब और नही...इससे तो मैं विधवा ही भली। "  एक अनपढ़  गँवार औरत के मुँह से ये सब सुनकर मैं चौंक गई थी; हमारे समाज में पढ़ी-लिखी औरतें भी इतनी हिम्मत नहीं दिखा पाती जो मालती  ने दिखाई थी. वो एक इन्सान बनकर उभरी, उसके समाज में औरत भी दूसरी  शादी सकती है पर  उसने नहीं की. मेरे इस सवाल के जवाब में उसने कहा था की मेरे मर्द ने गुं  खाया है तो क्या मैं  भी खा लूँ , अगर मैंने ऐसा  किया  मेरे बच्चोँ  की देखभाल कौन करेगा. .. ? मेरे सामने एक औरत अपने  पूरे वजूद के साथ खड़ी थी , आप बतायें  कितनी औरतें ऐसा कर पति हैँ ... ?
इसके बाद की कहानी तो इतिहास की बात बन गई. एक इंसान की तरह उसने अपने स्वाभिमान को बचाया और अपने समाज में अपना और अपने बच्चों की जगह बनाई।


'This post is a part of #UseYourAnd activity at BlogAdda in association with Gillette Venus'.

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