बुधवार, 31 दिसंबर 2014

फिर विदा लेने को है एक साल और आने को है एक साल...

 फिर विदा लेने को है एक साल और आने को है एक साल...


आज फिर एक साल मात्र कुछ घंटों के बाद हमसे विदा होने को है. क्या चल रहा होगा हर एक दिमाग़ में कौन जाने...? क्या वाकई पुराने साल की विदाई कही दिल और दिमाग़ में गहराई तक अपने निशान छोड़ देता है...? हर आने वाला साल जाने वाले साल की दहलीज पर यूँ ही नही आता बल्कि दस्तक देकर आता है. पर इस बिदाई वेला में कुछ पल ठिठक कर मुड़कर एक बार देख तो लें; जो साल हमने गुज़ारा है उसमें क्या खोया और क्या पाया है- कुछ यादों की, जो मुस्कराने पर मजबूर कर दें;उनकी पोटली बना अपने पास सहेजकर रख लें.
अब देखिए... नया साल आपके दरवाजे पर दस्तक देने को है. लगता है दस्तक सुनाई देने लगी है...चलें सब काम छोड़कर उसका स्वागत करते हैं. नये साल का एक मीठी सी मुस्कान के साथ खैरमकदम करें.


कुछ बीती यादों की पोटली बाँध;
लो फिर एक साल विदा लेता है.
दरवाजे पर दस्तक देता हुआ
लो फिर एक नया साल आता है.

veena sethi


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