का मार्ग है.
मेरा मानना है कि मुक्ति का अर्थ व्यक्ति के लिए स्वयं को स्वतंत्र अनुभव करना है। हर बंधन, हर प्रथा , हर रूढ़ीवाद, हर अभिलाषा, हर इच्छा से जब व्यक्ति ऊपर उठ जाये तो समझिये वह मुक्त हो गया है. क्योंकि रिश्ते बांधते हैं, यह वह खूंटा है जिससे बंधकर व्यक्ति तमाम उम्र उसी खूंटे के इर्द-गिर्द ही घूमता रहता है और मृत्यु ही उसे छुटकारा दिलाती है। इच्छा या अभिलाषा वो भूलभुलैया है जिसमें जाने के बाद इन्सान सारी उम्र बहार निकलने का रास्ता खोजता रह जाता है और मुक्त नहीं हो पता। यदि मुक्ति चाहिए है तो सबसे पहले स्वयं से मुक्त होना होगा और यही अध्यात्म
मुक्ति...
मुक्ति एक शब्द है तो छोटा किन्तु व्यापक अर्थ समेटे है। अध्यात्म में इसका मतलब इतना गहरा है कि यह मनुष्यत्व को परिभाषित कर देता है। धर्मानुसार मुक्ति का अर्थ मोक्ष है। यदि साधारण अर्थों में मुक्ति को स्वतंत्रता कहा जा सकता है।मेरा मानना है कि मुक्ति का अर्थ व्यक्ति के लिए स्वयं को स्वतंत्र अनुभव करना है। हर बंधन, हर प्रथा , हर रूढ़ीवाद, हर अभिलाषा, हर इच्छा से जब व्यक्ति ऊपर उठ जाये तो समझिये वह मुक्त हो गया है. क्योंकि रिश्ते बांधते हैं, यह वह खूंटा है जिससे बंधकर व्यक्ति तमाम उम्र उसी खूंटे के इर्द-गिर्द ही घूमता रहता है और मृत्यु ही उसे छुटकारा दिलाती है। इच्छा या अभिलाषा वो भूलभुलैया है जिसमें जाने के बाद इन्सान सारी उम्र बहार निकलने का रास्ता खोजता रह जाता है और मुक्त नहीं हो पता। यदि मुक्ति चाहिए है तो सबसे पहले स्वयं से मुक्त होना होगा और यही अध्यात्म
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 20-02-2014 को चर्चा मंच पर प्रस्तुत किया गया है
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