गुरुवार, 12 जुलाई 2012

kavita.....11

मुझे इल्जाम मत देना

मै इक आवाज हूँ 

मै
इक आवाज हूँ.
जब किसी मजलूम के
मुँह से निकलूँ, 
मुझे इल्जाम मत देना.
मै...
जब किसी की
सिसकी बन
आँखों से छलकूँ
मुझे इल्जाम मत देना.
मै...
जब किसी के
दर्द में
कराह बन जाऊं,
मुझे इल्जाम मत देना.
मै...
जब किसी के
दिल से
आह बन टपकूँ,
मुझे इल्जाम मत देना.
मै...
जब किसी के
चहरे पर
ख़ुशी बन चमकूँ,
मुझे इल्जाम मत देना.
मै..................

वीणा सेठी  

6 टिप्‍पणियां:

Ads Inside Post