गुरुवार, 19 जुलाई 2012

मेरी शब्द यात्रा..

आंसू एक बूंद


आंसू की एक बूंद (चित्र _गूगल .कॉम)

बूंद याने  'कतरा'. बूंद याने गोल आकृति सा दिखाई देने वाला द्रव्य. ये बूंद खून की भी हो सकती है या फिर पानी की या शराब की भी. पर एक बूंद है जो अमूल्य है ओर वो है 'आँख से टपका आंसू ' आंसू है तो पानी की एक बूंद पर ये समेटे हुए है गम और ख़ुशी जब होंठ मुस्करा रहे हों और आँखों से आंसू बूंद बन कर टपक रहे हों तो यक़ीनन ये ख़ुशी के आंसू की बूंदे होती हैं. पर जब होठों पर सिसकन हो और आँखों से आंसू कतरा बन कर बह रहे हो तो यकीन जानिये ये आंसू दुखः की कहानी कह रहे होते हैं.
            आँख से टपकने वाली पानी की बूंद याने आंसू का स्वाद निश्चय ही नमकीन होता है पर ये इस आंसू इतने ताकतवर हैं की ये दूसरे की आँख से भी बूंद बन कर टपकने लगता है.

आँसू तो गम में भी आँखों से छलक पड़ते हैं और ख़ुशी में भी; इनकी  तो आदत ही है छलक पड़ने की।ये कमबख्त मानते  ही नहीं बस मौके  की तलाश में रहते हैं, मौका मिला नहीं की आँखों के रास्ते बह निकलते हैं, न माने तो सावन की झड़ी आँखों से ही लगा देते हैं. बड़े ही जरखेज हैं ये आंसू। 

मेरी एक क्षणिका आँसू पर कुछ इस तरह से है:-

आसूं 

सुख  में :
दुख में;
पलक  की  कोर पर 
ठहरी  सी:
खारे  पानी की एक बूंद . 




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