ये भी हक़दार है सम्मान की.....................
फिर से एक और साल का एक और दिन और नारी के नाम ८ मार्च विश्व महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है. पत्र- परिकाओं में, इन्टरनेट पर इस दिन के लिए महिलाओं की जोरदार पैरवी होगी. प्रसिद्ध महिलाओं को सम्मानों से तथा पुरुस्कारों से नवाजा जायेगा, उनके लिए समारोहों का आयोजन होगा और फिर इस दिन को एक और आने वाले साल के लिए इसी दिन को पुन: मनाने के लिए जिस संदूक से निकला जाता है वहीं रख दिया जाता है, ताकि सालभर का गर्द-गुबार उस पर जमती रहे और हम इस दिन को भुलाकर फिर अपनी दुनिया में खो जायेंगे.
नारी के लिए ये एक दिन नदी की उपरी सतह पर बहने वाली तीव्र धारा की तरह है परन्तु नदी की तलहटी में भी ख़ामोशी से भी निरंतर बहने वाली धारा है , ठीक उन खामोश नारियों की तरह जो खेत-खलिहानों, घरों में , कारखानों में पूरी दुनिया में एक आम नारी साल भर निरंतर अपने दायित्व का निर्वाह करती है इस बात से अनजान की उनके लिए भी एक दिन यादगार के रूप में मनाया जाता है. ये दिन उनकी जिंदगी में नयापन भर सकता है पर इस बात को सोचने के लिए किसी के पास भी समय नहीं है,
पर मेरा सलाम उन नारियों के लिए जो इस बात की मोहताज कतई भी नहीं है की उनके कार्य के लिए किसी उन्हें किसी पुरस्कार से या सम्मान से नवाजा जाये. पर ये हमारा कर्तव्य है की हम उनकी अहमियत समझे और उन्हें विशेष स्थान दें.
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