वक्त कैसा है...??
मैंने कभी छू कर देखा ही नहीं
वक्त कैसा है...........??
शायद
मेरे आँगन के गमले में लगे
मनी प्लांट जैसा है.........
फिर शायद
भोर में चमकती पत्ते पर पड़ी
ओस की बूंद जैसा है.......
या फिर
वृक्ष से झड़ते सूखे पत्ते की
सिकुड़न जैसा है ....
या शायद
झरने के गिरते पानी से बनती
झाग जैसा है..........
या फिर
गर्म तवे पे पड़ी झनझनाती
पानी की बूंद जैसा है......
या शायद
किसी आँख के कोर पर ठहरी
आंसू की बूंद जैसा है.........
. मैंने तो कभी.....................????
वीणा सेठी
मैंने कभी छू कर देखा ही नहीं
वक्त कैसा है...........??
शायद
मेरे आँगन के गमले में लगे
मनी प्लांट जैसा है.........
फिर शायद
भोर में चमकती पत्ते पर पड़ी
ओस की बूंद जैसा है.......
या फिर
वृक्ष से झड़ते सूखे पत्ते की
सिकुड़न जैसा है ....
या शायद
झरने के गिरते पानी से बनती
झाग जैसा है..........
या फिर
गर्म तवे पे पड़ी झनझनाती
पानी की बूंद जैसा है......
या शायद
किसी आँख के कोर पर ठहरी
आंसू की बूंद जैसा है.........
. मैंने तो कभी.....................????
वीणा सेठी
sundar!
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