जल ही जीवन है।
जल ही जीवन है।
ये सब जानते हैं ;
पर उसे जीवन कहाँ मानते हैं?
गर मानते
तो उसे प्रदूषित न करते;
यूँ ही व्यर्थ न करते;
उसे अपने और दूसरों
के लिए सहेजते ;
संजोकर रखते।
जल केवल हमारे लिए नहीं
आने वाली पीढ़ियों की भी थाती है।
ये बात हम जान लें ;
वक्त रहते तो अच्छा है।
नहीं तो यही जल
पछतावे की शक्ल में ;
आँखों से आँसू बन टपकेगा।
जल ही जीवन है।
ये सब जानते हैं ;
पर उसे जीवन कहाँ मानते हैं?
गर मानते
तो उसे प्रदूषित न करते;
यूँ ही व्यर्थ न करते;
उसे अपने और दूसरों
के लिए सहेजते ;
संजोकर रखते।
जल केवल हमारे लिए नहीं
आने वाली पीढ़ियों की भी थाती है।
ये बात हम जान लें ;
वक्त रहते तो अच्छा है।
नहीं तो यही जल
पछतावे की शक्ल में ;
आँखों से आँसू बन टपकेगा।
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