महिला दिवस -8 मार्च
एक नई पहचान
मुस्कराहट
उसकी आँखों से
उतरकर;
ओठों को दस्तक देती
कानों तक फ़ैल गई थी.
ये मुस्कराहट
उसकी सच्चाई की जीत
और
उपलब्धियों से आई
थी.
वो थी:
एक लड़की
कदम-कदम पर
उसे ये बात;
याद कराई जाती थी.
बहुत बार
हताश-निराश हो,
वह
वापिस जाना चाहती
थी;
पर हर बार
उसकी माँ की कही
बात,
उसे याद आ जाती थी.
बेटी ...!
पहले अपने अंदर की
कमजोरी को जीतना,
याद रखना
तुम एक लड़की नहीं:
"पहले एक इंसान हो".
आधी लड़ाई तो
तुम यही जीत जाओगी.
बाकि आधी:
जब लक्ष्य सामने नज़र
आये,
अर्जुन बन
बस उसे बेध देना,
तब जीत जाओगी.
देखना तब:
समय और
तुम्हारे चारों ओर बहता,
सब कुछ थम जायेगा.
और
करतल ध्वनियों का
कोलाहल
तुम्हारी सफलता को
और तुम्हे
एक नई पहचान दे
जायेगा.
वीणा सेठी
It is the inner strength which identifies and defines a ' woman'..............
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