= सिक्का एक पहलू दो
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Sony TV चैनल पर प्रसारित होने वाले सीरियल love marriage या arranged marriage से एक बहस का मुद्दा हर गली-कूंचे में चल है और इस पर कुछ कह सकने के इस मौके को मै भी नहीं छोड़ना चाहती हूँ।
. मेरिज ...शादी.... विवाह.....निकाह......याने ये तो तय कि स्त्री-पुरुष के एक साथ जीवन बिताने के सामाजिक और क़ानूनी बंधन और स्वीकृति के लिए हर भाषा में एक शब्द मौजूद है, और हो भी क्यों न...जब इन्सान ने गुफा का जीवन छोड़कर मकान में रहने की ठानी तो वह live in relationship को भी जाहिर तौर पर छोड़ना चाहता था और जीवन को व्यवस्थित करने और उसे सुचारू रूप से चलाने के समाज से पहले परिवार नामक इकाई की शुरुआत की, जिसके लिए उसने स्त्री-पुरुष के रिश्ते को एक नाम देने के लिए ही विवाह याने मेरिज का arrangement किया .
अब विवाह की बात चल पड़ी है तो आज के हालत और तौर -तरीक़ों में ये भी शामिल हो चुका है कि arrange marriage successful है या फिर love marriage, बात तो एक ही है बस शब्दों का हेरफेर है ...अरे .भाई ! छुरी खरबूजे पर गिरे या फिर खरबूजा छुरी पर हश्र तो खरबूजे का ही होना है। हां....तो मै बात कर रही थी शादी की। अब मेरिज कौन सी अच्छी है ये देखना अभी बाकि है।
अब बात की जाये आज के भारत में होने वाले love marriage की-- इस देश में उदारवादी अर्थव्यस्था के साथ पश्चिम की जिस संस्कृति ने यहाँ प्रवेश किया है उसके साथ ही खुलेपन की जिस बयार ने यहाँ की हवा में अपना रंग घोला है उसे सबसे पहले युवा वर्ग प्रभावित हुआ है और प्रेम की लहर तो इस कदर दौड़ी है कि वह सरे तट बंधन ही मानो तोड़ देना चाहती हो .....!! प्रेम याने love तो मानो भारत की फिजा में घुल ही जाना चाहता हो ....इस article को पढने वाले पाठक ये न सोचे कि मै love marriage या love के खिलाफ हूँ ....बात थोड़ी चिंताजनक है ... जिस समाज में marriage का आधार arrange marriage हो और वो भी परम्परा के रूप में हजारों सालों से स्थापित हो वहाँ एक दूसरी वैवाहिक व्यवस्था का आ जाना और जिसमें परिवार की कोई भूमिका न हो ऐसी marriage पर आम सहमति बनना आसान नहीं है और यही वो बात है जो चिंताजनक है ...internet और mobile के साथ-साथ TV और Movies ने जहाँ आज love को आसान बना दिया है वही love marriage की राह इतनी आसान नहीं है। बड़े शहरों में प्यार तो आसान दिखाई देता है पर इस बात की guarantee लेना आसान नहीं है कि जो love partner चुना गया है वो वाकई एक अच्छा जीवन साथी साबित होगा चूँकि प्यार में पहले तो सच्चाई छुपाई जाती है और शादी की हद तक बात पहुँचते पहुँचते असलियत खुल ही नहीं पाती और जब पता चलता है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है।
जिस तरह से TV या movies में जाता है वह असली ज़िदगी में हो ये जरुरी तो नहीं, love देश में एक fashion की तरह चल निकला है और fashion को बिना सोचे समझे ही अपनाया जाता है ...ये बात सभी जानते हैं। छोटे शहरों में love के love marriage में बदलने के परिणाम बेहद चिंताजनक हैं, जिसका खामियाजा अधिकतर लड़कियों को ही भुगतना पड़ता है .... ये मै हवा में तीर नहीं छोड़ रही हूँ बल्कि ये आंकड़े हैं जो राष्ट्रीय स्तर पर इकट्ठे गए हैं।
"love is blind" सच ही है तभी उसके आगे कुछ भी नहीं सूझता .....और जब वो love marriage में बदल जाए तो उसके परिणाम के बारे में कुछ भी कहना कठिन है।
CUM
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भारत जैसे देश में जहाँ पर arranged marriage का ही चलन है, love marriage की सफलता को 100% में आंकना थोड़ी जल्दबाजी होगी, पर इतना तो तय है कि यदि love marriage को सामाजिक स्वीकृति मिलती है तो इससे arranged marriage के कारण होने वाली दहेज़ जैसी प्रथा पर शिकंजा कसा जा सकता है। love marriage का दूसरा फायदा जिसकी अक्सर लोग वकालत करते हैं कि दो लोग एक दूसरे के स्वाभाव से अच्छी तरह परिचित हो चुके होते हैं और तालमेल बैठने में भी आसानी होती है .....ये कुछ हद हद तक तो सही हो सकता है पर पूरी तरह से नहीं। चूँकि love marriage से होने वाले तलाक के मामले अधिक सामने आ रहे हैं, अतः इसे पूरी तरह से सही ठहराया नहीं जा सकता। arranged marriage कहानी इसके बिलकुल उलट है यहाँ प्यार शादी के बाद होता है इसलिए एक-दूसरे को समझने का अवसर भी शादी के बाद ही मिलता है।
लोग इस बात की इस बात की हिमायत करते देखे जा सकते हैं कि love होता है दो लोगों`में जिनका स्वभाव आपस में मिलता है पर वास्तविकता में लव या प्यार एक आकर्षण है प्रकृति के नियमानुसार positive और negative सोच वालों के मध्य ही हो सकता है और arranged marriage में में भी यही सब होता है पर इसे माता-पिता तय करते हैं.
विवाह दो व्यक्तियों को ताउम्र जोड़ने वाला गठबंधन है.यह तभी मजबूत और स्थाई रह सकता है जब इसमें समर्पण,आपसी समझदारी,एक दूसरे की भावनाओं को समझने की क्षमता, एक दूसरे का सम्मान करने की इच्छा और एक दूसरे को अपने जीवन में स्थान देने का आग्रह छिपा हो.
love marriage या फिर arranged marraige , दोनों ही सूरते हाल में ये सब एक सफल विवाह के लिए आवश्यक हैं.
भारत जैसे देश में जब love प्रचलन में धीरे-धीरे आ ही रहा है तो उसका वितोध या उसे रोकने की चेष्टा करना नासमझी होगी, बल्कि जरुरत love याने प्यार को उसके मुकाम तक पहुँचाने की है याने love marriage को सही तरीके से लिया जाए जिससे उससे होने वाले नुक्सान को रोका जा सके.दरअसल यहाँ love और love marriage को बिल्कुल "रिन" के विज्ञापन "तेरी साड़ी मेरी साड़ी से सफ़ेद कैसे...??" की तर्ज पर लिया जा रहा है. अब इस तरह की love marriage को arranged marriage की राह चल कर ही बचाया जा सकता है.
movies या TV चैनलों पर दिखाए जाने वाले stereotype सीरियल जिंदगी की हकीकत से वाबस्ता नहीं रखते. केवल पश्चिम की भौंडी नक़ल से प्रेरित युवा वर्ग गुमराह हो रहा है और अचानक से आई इस love की बाढ़ में बह चला है ये जाने बिना की इस का अंत कहाँ होगा...??? इस नक़ल में जो उत्प्रेरण का काम कर रहे हैं वे केवल एक नकली bi-product को बेचने और अपना उल्लू सीधा करने की कोशिश कर रहे है. arranged marriage को हाशिये पर डालने की चेष्टा करने वाले ये जान लें कि भारत जैसा देश रातों रात love marriage जसी सोच को अपना नहीं लेगा और इस अंधे प्यार कि अंधी गाथा इस मिट्टी को कितनी रास आएगी, इसके विषय में अभी कुछ कह पाना सरल नहीं है.
वीणा सेठी
विवाह दो व्यक्तियों को ताउम्र जोड़ने वाला गठबंधन है.यह तभी मजबूत और स्थाई रह सकता है जब इसमें समर्पण,आपसी समझदारी,एक दूसरे की भावनाओं को समझने की क्षमता, एक दूसरे का सम्मान करने की इच्छा और एक दूसरे को अपने जीवन में स्थान देने का आग्रह छिपा हो.
love marriage या फिर arranged marraige , दोनों ही सूरते हाल में ये सब एक सफल विवाह के लिए आवश्यक हैं.
भारत जैसे देश में जब love प्रचलन में धीरे-धीरे आ ही रहा है तो उसका वितोध या उसे रोकने की चेष्टा करना नासमझी होगी, बल्कि जरुरत love याने प्यार को उसके मुकाम तक पहुँचाने की है याने love marriage को सही तरीके से लिया जाए जिससे उससे होने वाले नुक्सान को रोका जा सके.दरअसल यहाँ love और love marriage को बिल्कुल "रिन" के विज्ञापन "तेरी साड़ी मेरी साड़ी से सफ़ेद कैसे...??" की तर्ज पर लिया जा रहा है. अब इस तरह की love marriage को arranged marriage की राह चल कर ही बचाया जा सकता है.
movies या TV चैनलों पर दिखाए जाने वाले stereotype सीरियल जिंदगी की हकीकत से वाबस्ता नहीं रखते. केवल पश्चिम की भौंडी नक़ल से प्रेरित युवा वर्ग गुमराह हो रहा है और अचानक से आई इस love की बाढ़ में बह चला है ये जाने बिना की इस का अंत कहाँ होगा...??? इस नक़ल में जो उत्प्रेरण का काम कर रहे हैं वे केवल एक नकली bi-product को बेचने और अपना उल्लू सीधा करने की कोशिश कर रहे है. arranged marriage को हाशिये पर डालने की चेष्टा करने वाले ये जान लें कि भारत जैसा देश रातों रात love marriage जसी सोच को अपना नहीं लेगा और इस अंधे प्यार कि अंधी गाथा इस मिट्टी को कितनी रास आएगी, इसके विषय में अभी कुछ कह पाना सरल नहीं है.
वीणा सेठी
right analysis.
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