बुधवार, 13 जून 2012

कविता .............8

  खोया पाया............??




इन ६५ सालों में;
आइये देखें

हमने


क्या खोया.............?
क्या पाया...............?
जब पहुंचे


खोया-पाया वि
भाग में;

तो भ्रष्टाचार पाया:
ईमानदारी को खोया पाया.

झूठ पाया गया: सच को खोया पाया.

     
 नेताजी को कुर्सी पर पाया:और आम आदमी को खोया पाया.

लोकतंत्र का ढांचा पाया: लोकतंत्र को खोया पाया.








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