(1)
नींद
पलकों पर गिरी;
फिर
बह चली ......
दरिया की मनिंद .
(2)
खत
कोरे कागज पर,
स्याही से उकेरे ;
कुछ शब्द .
(3)
खता
एक पल की खता :
और
सदियों को मिली सजा.
(4)
आसूं
सुख में :
दुख में;
पलक की कोर पर
ठहरी सी:
खारे पानी की एक बूंद .
(5)
ऑस
शीत की भोर में ;
पत्तों पर ठहरा हुआ ,
पानी का एक कतरा.
(6)
वृक्ष
एक तना;
कुछ शाखाएँ ;
ढेरों पत्तों का लबादा ओढ़े;
स्थिर खड़ा
आमंत्रण देता.
बहुत खूब
जवाब देंहटाएंहाइकू सभी सुंदर हैं .....
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंघूम-घूमकर देखिए, अपना चर्चा मंच ।
लिंक आपका है यहीं, कोई नहीं प्रपंच।।
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
--
डॉ. रूपचंद्र शास्त्री "मयंक"
टनकपुर रोड, खटीमा,
ऊधमसिंहनगर, उत्तराखंड, भारत - 262308.
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kya bat kahi hai.....wah
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