आज ५ जून को विश्व पर्यावरण दिवस पर मेरी ये कविता
पर्यावरण हो हरा भरा.........
नदी सागर
मेघ बन
उड़ जाता आकाश में;
ज्योहीं देखा ' वन '
बरस पड़ा उल्लास में.
टप टप बूंदे टपकी;
बदल गए खेत-खलिहान
हरियाले लिबास में.
देखो थिरकती है धरती
खुशियों की उजास में.
पर्यावरण हो हर-भरा.
रहे हम ऐसे प्रयास में.
नदी सागर
मेघ बन
उड़ जाता आकाश में;
ज्योहीं देखा ' वन '
बरस पड़ा उल्लास में.
टप टप बूंदे टपकी;
बदल गए खेत-खलिहान
हरियाले लिबास में.
देखो थिरकती है धरती
खुशियों की उजास में.
पर्यावरण हो हर-भरा.
रहे हम ऐसे प्रयास में.
save the environment, save the forest- the natural forest, stop deforestation. that is must to check the green house effects and to save the earth.
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