शनिवार, 4 जून 2011

कविता..........2


आज ५ जून को विश्व पर्यावरण दिवस पर मेरी ये कविता 
पर्यावरण हो हरा भरा.........



नदी सागर

मेघ बन


उड़ जाता आकाश में;



ज्योहीं देखा ' वन '


बरस पड़ा उल्लास में.



टप टप बूंदे टपकी;


बदल गए खेत-खलिहान


हरियाले लिबास में.



देखो थिरकती है धरती


खुशियों की उजास में.



पर्यावरण हो हर-भरा.


रहे हम ऐसे प्रयास में.

save the environment, save the forest- the natural forest, stop deforestation. that is must to check the green house effects and to save the earth.

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