गुरुवार, 30 दिसंबर 2010

बात अनकही सी...............6(नए साल का खैरमकदम)

नए साल का खैरमकदम करें कुछ इस तरह से.....................


फिर एक साल की बिदाई कुछ ही घंटों में हो जाएगी............................क्या सोच रहे हैं आप ......................................???क्या दे गया है आपको ये गुजरता साल..........................................??कुछ साल पहले तक ये सवाल नहीं सताते थे पर .................................जब से दुनिया की खिड़की टी वी और इन्टरनेट के कारण हमारे घरों की ओर खुली है,,,,,,,,,,,, नए साल का आगमन और पुराने साल की जुदाई दोनों एक साथ एक ही छत के नीचे गम और ख़ुशी के एहसास के साथ मिलने जाया करते हैं...............आइये ! थोड़ी देर के लिए हम इन दोनों एहसास के साथ अपने भीतर की यात्रा करें .......................कुछ अनोखा और अदभुद आपके भीतर से आपके पूरे वजूद पर छा जायेगा............ तो फिर इसी एहसास को जिन्दा रखते हुए नए साल का स्वागत अपनी बाहें फैलाकर करें और जाते हुए साल को हाथ हिलाकर विदा करे......................और स्वयं के लिए ये गुनगुनाना भूलें..........................मै हूँ यहाँ अपने लिए........और कुछ पल चुरा लें केवल अपने लिए जाते हुए साल से और आते हुए साल से...................



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Ads Inside Post