शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2010

कहानी......नारी-1

मेरा घर कहाँ है????....................

हमारी काम वाली बाई का नाम 'मिनी' है उसकी आवाज में बच्चों की सी मासूमियत है जब बोलना शुरू कराती है तो रुकने का नाम ही नहीं लेती बर्तन मांजने बैठती है बातों में इतना खो जाती है कि एक ही बर्तन को चमकाने में लगी रहती है तो उसे टोकना पड़ता है ,'मिनी अब दूसरा बर्तन भी मांज क्या एक ही बर्तन लेकर सारा दिन बैठी रहेगी?."और जैसे वो सोते से जग जाती और जल्दी जल्दी हाथ चलने लगती
मिनी जैसे ही दरवाजा खटखटाती है पता चल जाता है की मिनी आई है पर आज जब मिनी आई तो हमें उसके आने का पता ही नहीं चलामिनी आँगन में आकर चुपचाप बर्तन धोने लगी , ये देखकर मैंने चुटकी ली, " क्या बात है! आज तेरा टेप बंद है"। इतने पर भी वह कुछ नहीं बोलीमैंने फिर उसे छेड़ने वाले अंदाज में पूछा तो उसने जैसे ही अपना सर ऊपर उठाया तो देखा उसकी आँखों में आंसू थेभरी आँखों से उसने कहा, " दीदी! रात को मेरा आदमी बाहर से फिर पी कर आया, तो मैंने उससे कहा की इतनी मत पिया करो, बच्चे भी पूछते हैं , उनपर भी गलत असर पड़ेगा"। तो मेरे आदमी ने मुझपर हाथ उठा दिया और मारते हुए बोलने लगा, ' साली समझती क्या है अपने आप को ! मै अपने घर से निकाल दूंगा '। मिनी मुझसे सवाल कर रही थी, " बताओ न दीदी ! मेरा घर कहाँ है??"

मिनी रोये जा रही थी और उसकी आँखों में एक सवाल तैर रहा था आखिर उसका घर कौनसा है? उसका घर कंहा है???।

ये एक ऐसा सवाल है जो आज भी इस देश की ९९.९९ % नारियाँ स्वयं से कर रही हैं

क्या इसका जवाब आपके पास है?????????????..................



 




1 टिप्पणी:

  1. स्त्री को अपना वजूद हासिल करने के लिए खुद ही संघर्ष करने होंगे...पुरुष बस बात कितनी भी करते रहें....असली संघर्ष स्त्री का खुद का है....शिक्षा और अपने पैरों पर खड़े होना बहुत ज़रूरी है....धीरे धीरे ही सही पर स्त्री को शिक्षित होना ही होगा...

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