रविवार, 1 जनवरी 2012

बात पते की............1(ये 2000 सालों की निद्रा.....).

हजारों सालों की नींद का ये .आलम............पानीपत  की तीसरी लड़ाई.................और हमारी पराजय ..


हमें गर्व है की हम हिन्दुस्तानी हैं....................और वाकई इसके अलावा हम और कुछ कर भी नहीं सकते क्योंकि यही एक तो हमारे पास बचा है बाकि तो हम अपने आत्म-सम्मान के साथ कहीं गिरवी रख आये हैं............. हम स्वयं को इस सवाल से बचाने का प्रयास करते रहे   हैं की आख़िरकार हम पिछले 2000 सालों की दासता से क्यों नहीं मुक्त नहीं हो पाए हैं..................???? जब भी ये सवाल हमारे सामने किया जाता है तो हम शुतुरमुर्ग की तरह इससे बचने का प्रयास करते हैंहम आज तक अपनी कमियों और कमजोरियों को छुपाने के प्रयासों में ही जुटे रहते हैं अपितु उन्हें दूर करने के...............
भारतीय सामाजिक विशेषकर हिन्दू सामाजिक व्यवस्था इसके मूल में एक मुख्य कारण रहा है .............ये ही परम सत्य है चाहे इसे हम स्वीकारें या नकारें .............. 


१७६१ के वर्ष में पानीपत की तीसरी लड़ाई शिवाजी के नेतृत्व में मराठों और अमहद शाह अब्दाली के मध्य हो रही थी..............रोज की तरह शाम के समय दोनों खेमों में खाने की तैयारियां हो रही थीं, अहमद का लव-लश्कर पहाड़ी की तलहटी में डेरा डाले पड़ा था, उसकी लड़ाई की तैयारी कुछ खास नहीं थी और वो बिलकुल निश्चिन्त दिखाई पड़ रह था, जब उसके सिपहसलार ने उससे पूछा की आगे की क्या रणनीति होगी तब अब्दाली ने कहा,.........." बिलकुल फिक्र न करों." उसने अपनी अंगुली पहाड़ी की और करके कहा ," देख रहे हो जगह जगह अलाव जल रहे हैं और खाना बनाने के लिए चूल्हे जल रहे हैं...........मराठे एक जगह पर खाना न बनाकर अलग-अलग बना रहे हैं...........जानते हो इनकी अलग जातियां होने के कारण ये एक दूसरे का छुआ खाना नहीं खाते ..........अब जब इन लोगों में आपस में ही एकता नहीं है तो ये लड़ाई के समय एक साथ ताल-मेल से लड़ाई कैसे लड़ेंगे....!!"
और वाकई अमहद शाह अब्दाली की सोच सही निकली , मराठे पानीपत की तीसरी लड़ाई हर गए थे................
हम हिन्दू बही भी जातिवाद के मक्कड़ जल में फसें है और अपने आत्म-सम्मान को भूलकर आपस में ही लड़ रहे हैं . यही कारण है की हम २००० सालों की एक ऐसी नींद सो रहे हैं की पता नहीं कब जागेंगे और इस जात-पात की दीवार को तोड़कर अपने वास्तविक दुश्मन को पहचान कर उसे मार सकेंगे.............

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