सोमवार, 8 मार्च 2010

कहानी .........नारी -4

महिला दिवस पर..... एक बात अनकही सी


मेरा नाम क्या है---?

कुछ समय पहले मै अपनी परचित के गृह नगर गई थी किसी विवाह में शामिल होने जो की एक छोटा सा शहर है.
विवाह के लिए खरीदारी के लिए वे भी मुझे बाजार ले गए, बाजार में जब सामान खरीद रहे थे तो दूर से कानों में स्पीकर का शोर सुनाई दिया, धीरे-धीरे शोर पास आता गयापहले तो स्पीकर पर क्या बोला जा रहा है उस पर ध्यान ही नहीं दिया, छोटे शहरों में अक्सर पिक्चर का प्रसारण लाउड- स्पीकर पर होता हैपिक्चर के प्रसारण में गाने अवश्य बजाये जाते हैं अतः पहले तो यही लगा, पर जब गाने की आवाज नहीं सुनाई दी तो थोड़ा पास आने पर स्पीकर पर बोलने वाले के केवल शब्द ही सुनाई दे रहे थेस्पीकर वाला जब और पास आया तो उसके बोले शब्दों पर कान लगाया तो पता चला की वह किसी की मृत्यु की सूचना दे रहा थाकिसी महिला की मृत्यु की सूचना थी -जो इस प्रकार थी--" अमन और सोनू की दादी................. और महेश श्रीवास्तव की माताजी............, दिनेश रुपेश की चाची............ तथा स्वर्गीय बाबूलाल श्रीवास्तव की पत्नि................ का निधन हो गया है, जिनकी अन्तिमयात्रा उनके निवास स्थान कमल भवन, अनूप नगर कालोनी से शाम बजे निकली जाएगी.........."।
इस पूरे प्रसारण में दिवंगत महिला का कही भी नाम नहीं था

आज जब हम विश्व महिला दिवस मना रहे हैं तो ये भी एक सच जो आज का जिन्दा सच है इस के विषय में भी जान लें........................





2 टिप्‍पणियां:

  1. फिर भी वो औरत की पहचान नही मिटा सकते। इसी अवहेलना ने तो नारी को जाग्रित किया है अपने अधिकारों के लिये लडने को। आखिर कब तक । अच्छी पोस्ट है धन्यवाद्

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