भय
'भय' मन का एक आवेग है. यह मानव को कमजोर करता है. भय या दर एक नकारात्मक आवेग है. ये दिल में उत्पन्न होकर मस्तिष्क तक फ़ैल जाता है और हृदय में आशंका को जन्म देता है.
आजकल एक पेय पदार्थ के उत्पाद के विज्ञापन में एक वाक्य लगभग जुबान पर चढ़ जाने वाला है, " दर के आगे जीत है ", वाक्य विन्यास कुछ गलत अवश्य है किन्तु एक सन्देश देता है. भावार्थ में यही है कि डर का सामना करने के बाद डर गायब हो जाता है और यही डर पर जीत का डंका बज जाता है.
डर
भी दो तरह के होते हैं. एक वास्तविक और दूसरा काल्पनिक या आभासी, और दोनों
का सम्बन्ध हमारी मानसिक अवस्था से होता है. वास्तविक डर वो होता है जिसका
हमें पता होता है कि वो कहाँ पर है या उसका कहाँ पर सामना करना
पड़ेगा.काल्पनिक या आभासी डर वो है जो अज्ञात है किन्तु ये भय वो है जो
आशंकाजनित होता है, ये प्रायः आधारहीन होता है या फिर कभी-कभार इस का आधार
हो भी सकता है.किन्तु अज्ञात के प्रति उत्पन्न भय या दर किसी होनी की आशंका
से उपजा होता है और इसकी पकड़ अवचेतन मन के साथ मनुष्य की चेतना पर भी
होती है. आशंका से उपजा दर हमारी विचार शैली के साथ-साथ कार्य-शैली को भी
प्रभावित करता है और हमारे कार्य की परिणाम पर भी प्रभाव डालता है.
किसी कार्य के प्रारंभ में ही उसके परिणाम के विषय में हमारी नकारात्मक सोच उस कार्य की सफलता के प्रति आशंका को जन्म देती है और इससे जो भय हमारे हृदय में उत्पन्न होता है वह हमारी मानसिक चेतना को भी जकड़ लेता है और यही हमारी कार्य क्षमता को भी प्रभावित करता है जिसके कारण हमारा जो उत्साह और जोश काम करने की चाहत को लेकर होता है वह कम हो जाता है. और कार्य को आधे-अधूरे व आशंकित मानसिक स्थिति से करने पर, कार्य की असफलता का जो डर हमारे मन में उपजा होता है वह हकीकत बन कर हमरे सामने खड़ा हो जाता है.अतः नकारात्मक विचार व भाव हमेशा काल्पनिक डर का मूल हुआ करते हैं.सो आवश्यकता है एक सकारात्मक सोच या विचार शैली की जो हमारी सफलता का मार्ग प्रशस्त करती है और हमारे मन में उपजे डर पर विजय दिलवाता है.
किसी कार्य के प्रारंभ में ही उसके परिणाम के विषय में हमारी नकारात्मक सोच उस कार्य की सफलता के प्रति आशंका को जन्म देती है और इससे जो भय हमारे हृदय में उत्पन्न होता है वह हमारी मानसिक चेतना को भी जकड़ लेता है और यही हमारी कार्य क्षमता को भी प्रभावित करता है जिसके कारण हमारा जो उत्साह और जोश काम करने की चाहत को लेकर होता है वह कम हो जाता है. और कार्य को आधे-अधूरे व आशंकित मानसिक स्थिति से करने पर, कार्य की असफलता का जो डर हमारे मन में उपजा होता है वह हकीकत बन कर हमरे सामने खड़ा हो जाता है.अतः नकारात्मक विचार व भाव हमेशा काल्पनिक डर का मूल हुआ करते हैं.सो आवश्यकता है एक सकारात्मक सोच या विचार शैली की जो हमारी सफलता का मार्ग प्रशस्त करती है और हमारे मन में उपजे डर पर विजय दिलवाता है.
बहुत
अधिक भावुकता या संवेदनशीलता भी रिश्ते-नातों के लिए एक अव्यक्त से डर की
उत्पति का कारण बनती है. किसी अपने के लिए आधारहीन काल्पनिक भय अति
रागात्मकता का परिणाम होती है. किसी अपने को खो देने का डर इस हद तक बढ़
जाता है की इन्सान की भूख प्यास भी छीन लेता है, ऐसी सोच इन्सान की सोचने
की ताकत पर बहुत ही नकारात्मक प्रभाव डालता है. ऐसा व्यक्ति तनावग्रस्त
जीवन जीता है और भयग्रस्त जो जाता है और अपने आसपास के लोगों के लिए भी
मानसिक त्रास का कारण बन जाता है. हमारे कृत्यों का परिणाम यदि किसी भय को
पैदा करता है तो वह वास्तविक ही होता है. कुछ भी हो डर या भय को स्वयं पर
हावी न होने दें बल्कि उसका सामना पुरे जोश व निडरता से करें फिर देखिये डर
स्वयं ही भाग जायेगा.
bohot accha explanation hai dar ke liye ..most of the times hum kalpanik fear ki wajah se jyada suffer karte hain...in fact , inspired by the ad-dar ke agey jeet hai , I have tried touching a snake and looking down from 12 storey building .... jeetne mei time laga ..honestly i could nt either touch the snake for 1 second and could not look down for more than 5 secs ... but yes now I am not that afraid ... as i used to be !! so ur right ... bottomline face ur fear head on !! very nice write up !!
जवाब देंहटाएंsundar abhivyakti
हटाएंyes you are right, dar nam hai hi aisa jo vaki darata hai. rassi ko saanp samjhana bhi dar hai. Yes 'Fear" of heights and Snake are the two fear that can't be denied.
हटाएं.एक एक बात सही कही है आपने आभार नवसंवत्सर की बहुत बहुत शुभकामनायें कौन मजबूत? कौन कमजोर ? .महिला ब्लोगर्स के लिए एक नयी सौगात आज ही जुड़ें WOMAN ABOUT MANजाने संविधान में कैसे है संपत्ति का अधिकार-1
जवाब देंहटाएंji dar hai hi aisa aaveg.
हटाएंSahi Baat
जवाब देंहटाएंbahut sahi aaklan kiya hai
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति !!
जवाब देंहटाएंपधारें बेटियाँ ...
आपका विश्लेषण अति उत्तम है .मैं इसे एक सकारात्मक लेख मानता हूँ
जवाब देंहटाएंlatest post"मेरे विचार मेरी अनुभूति " ब्लॉग की वर्षगांठ
aapko pasand aaya, dhanyavad...
हटाएंबहुत सुन्दर। बधाई!
जवाब देंहटाएंPlease visit-
http://voice-brijesh.blogspot.com