शनिवार, 25 फ़रवरी 2012

लघु कथा-----------------5(बचपन-3)

आज स्कूल क्यों नहीं गए ....................???

 अगर मौसम की बातें करें तो गर्मी का मौसम बसंत के द्वार पर दस्तक दे रहा है और सर्दी के लिहाफ से बहार निकलने की कवायद लोग शुरू कर चुके हैं................शायद आप भी........, पर जो सबसे बड़ी बात है वो है बच्चों के लिए उनका स्कूल जाने का मौसम तो साल के दस महीनों का रहता है और सर्दियों में तो ये मौसम उनपर कहर ढा देता है. ये मौसम उनके लिए रहत लेकर ये है. खेलने के लिए इससे बेहतर कोई ऋतु हो ही नहीं सकती...


शायद यही कारण था की विशु खेलने  में  मग्न था , मै खिड़की से बाहर  झांक कर देख रही थी और अचानक मेरा ध्यान दौड़ते हुए विशु पर पड़ा ..........विशु हमारे पड़ोस में रहने वाले दुबे अंकल का ७ वर्षीया पोता है और सेकंड क्लास में पढ़ता है. मैंने उसे आवाज दी," विशु.!!" ,पर उसने कोई जवाब नहीं दिया और अपनी भागम-भाग में लगा रहा. मैंने फिर बुलाया, " विशु.............! सुन तो देख तेरे लिए कितना अच्छा पोस्टर लाई हूँ.........", सुनकर उसके भागते कदम थम गए और वह धीरे से मेरे पास आया, " क्या बात है बुआ .........??". मैंने उससे कहा -" आ मै तेरे लिए पोस्टर ली थी , जानवरों के............." . 
"जल्दी से दिखाओ................" उसकी जिज्ञासा चरम पर थी............." दिखाओ न बुआ ........ !" उसने कहा.
मै पोस्टर उसे दिखने लगी," ये मै तेरे लिए लाई  हूँ विशु.!" जब मैंने ऐसा कहा तो उसे विश्वास ही नहीं हुआ...........
"मेरे लिए......! सच में बुआ .........." उसके स्वर में अविश्वास था..
" अरे .! मै तेरे लिए ही लाई हूँ....", मेरे ऐसा कहने पर वो उन पोस्टर्स को मेरे हाथ से छुड़ा कर भाग गया.
" अरे सुन ! इधर आ..........", वो मेरे पास नहीं आया मानो उसे लग रहा था की मै उससे पोस्टर वापस ले लूंगी.
वो दूर से ही बोला, " अभी मुझे काम है.."    "पर सुन तो..........!" मेरी बात अनसुनी करने लगा, तब मैंने उससे पूछा," आज स्कूल क्यों नहीं गया............??"

" मेरे सिर में दर्द जैसा है.......इसलिए नहीं गया..........."उसका जवाब सुनकर मै सोच में पड़ गई की आजकल के बच्चे सिर दर्द से कितनी छोटी उम्र में वाकिफ हो रहे हैं...........जब हँसने-खेलने की आयु में ही वे सिर दर्द जैसी बिमारियों को समझने लगे हैं पर वो भी "सिर दर्द जैसा हो रहा है" की तर्ज पर ..तो बाकि क्या कहा जाये.........

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