ये बात बचपन से ही सुनते आये हैं, " अंत में सत्य की जीत होती है." सदियों पुरानी यह धारणा आज भी कायम है और इसकी उपस्थिति देखी या महसूस की जा सकती है.वैसे तो जीवन के प्रत्येक पहलू या प्रकृति में मौजूद हर सजीव या निर्जीव वस्तु दो पहलू लिए है, एक अच्छा व दूसरा बुरा.
ठीक सिक्के के दो पहलुओं की तरह 'सच' का भी बुरा पहलू है 'झूठ'. अंत में सत्य की विजय से तात्पर्य यही निकलता है कि झूठ पर सच भरी पड़ता आया है, यही कारण है कि सच को झूठ के बोझ तले लम्बे समय तक दबे रहना पड़ता है और बेहद मशक्कत के बाद ही बाहर निकल पता है.
ठीक सिक्के के दो पहलुओं की तरह 'सच' का भी बुरा पहलू है 'झूठ'. अंत में सत्य की विजय से तात्पर्य यही निकलता है कि झूठ पर सच भरी पड़ता आया है, यही कारण है कि सच को झूठ के बोझ तले लम्बे समय तक दबे रहना पड़ता है और बेहद मशक्कत के बाद ही बाहर निकल पता है.
वास्तव में सच का यही सच है कि वह आराम से या सरलता से उजागर नहीं होता, कहते है न अच्छा पाने के लिए परिश्रम करना ही पड़ता है और बुरी चीज के लिए कोई मेहनत नहीं लगती , यही कारण है कि झूठ लोगों को जल्दी आकर्षित करता है क्योंकि लोग उसपर जल्दी विश्वास करते हैं और झूठ के बारे में एक बात और भी तार्किक रूप से सही है कि झूठ को बार-बार बोला जाये तो व भी सच कि तरह प्रतिष्ठत हो जाता है और सत्य के विषय में ये भी स्थापित है कि वह संघर्ष के बाद ही सामने आता है,
वीणा सेठी।
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सत्य का सामने आना इतना आसान नही । वह कठिनाई से पर्श्रम से सामने आता है ।और जब सामने आता है उसके वेग से झूट की जडैं उखड जाती हैं ।
जवाब देंहटाएंबहुत सही ।
सत्य कहा है आपने सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंअरुन शर्मा
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