पूजा
" सुनिये ! ", पत्नी ने पति से कहा
" जी कहिये", पति ने पत्नी की तरह जवाब दिया तो पत्नी चिढ़ गयी. पति को समझ आ गया और पत्नि से पूछा कि क्या बात है.
" आज मुझे मन्दिर ले चलें, आज शुक्रवार है और मुझे माताजी के दर्शन करने हैं ", पत्नी ने कहा
इस पर पति थोड़ा संजीदा हो गये, उसे पता था कि वह जाये बिना मानेगी नहीं. उसने उसे मनाने का प्रयास किया, " घर में भी तो मन्दिर है और वहाँ भी तो देवीजी की प्रतिमा है. फ़िर मन्दिर जाने की क्या जरूरत है ", पति की बात से पत्नि रूठ गयी. पति चाह कर भी यह समझा न पाया कि आज जो देश के हालात हैं, उसमें तो मन्दिर्, मस्जिद, चर्च ,गुरुद्वारा जाना इतना जरुरी नहीं, इश्वर को घर में ही पूजा जा सकता है. कुछ लोगों ने ईश्वर के इस स्थान का इस्तेमाल जिस तरह से किया है आज पूरा देश इस बीमारी के खौफ़ में जीने को मजबूर है. पति इस तरह सोचते हुए पत्नी को आवाज लगाने लगे कि वे उसे मन्दिर ले जाने के लिए तैयार है, पर पत्नि ने उन्हें ये कहकर मना कर दिया कि वह घर में ही पूजा कर लेगी, वे ये सुनकर आश्चर्य से भर गये, और मन ही मन बुदबुदाये - देर आयत दूरुस्त आयत.